अगर यह कहा जाए कि भारत में विकास की मिसाल गुजरात के एक गांव की महिलाएं देह व्यापार के लिए मज़बूर हैं तो शायद आप यकीन न करें. लेकिन यह सच है, जिसे मानने के लिए आपको वाडिया गांव की तरफ रुख करना होगा. तो आइये हम आपको ले चलते हैं ‘वाडिया गांव’, जो देश में देह व्यापार का केंद्र माना जाता है.
वाडिया कैसे बना देह व्यापार का केंद्र?
लगभग 80 साल पहले, जब मनोरंजन के इतने साधन नहीं थे. तब उस समय के रजवाड़ों ने सराणिया युवतियां को युद्ध में सैनिकों और सेनापतियों के लिए मनोरंजन का माध्यम बना डाला. जो नाच-गाने के अतिरिक्त सेनापतियों और मुख्य सैनिकों को शारीरिक सुख देने का काम भी करती थीं. यहीं से नीव पड़ी वाडिया गांव में देह व्यापार की. जो बदस्दूर जारी है. आश्चर्य है कि आज न रजवाड़े रहे और न ही अराजकता.
इसके बावजूद भी यह समुदाय इस दलदल से नहीं निकल सका. गुजरात के बांसकांठा ज़िले में मौजूद वाडिया गांव को साराणिया जाति के लोगों ने बसाया था. जहां वर्तमान में लगभग 600 लोग रहते हैं. इस गांव में पानी, घर, बिजली, स्कूल, सड़कों व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं.
यहां गांधीनगर के काम-काज का छींटा भी नज़र नहीं आता, लेकिन इस सबके लिए यह कभी चर्चा का विषय नहीं बनता. यह चर्चाओं में इसलिए रहता है, क्योंकि परंपरा के अनुसार यहां की लगभग हर लड़की आज देह व्यापार के लिए मज़बूर हैं. महज 13 साल की उम्र से ही उसे इस धंधे में धकेल दिया जाता है.
देह व्यापार की परंपरा के पीछे कौन?
कई सालों से इस गांव में देह व्यापार की परंपरा चली आ रही है. वाडिया के लोग आज भी उस रुढिवादी परंपरा को मानते हैं. जिसके अनुसार गांव में लड़कियों के जवान होते ही खुद उनके परिजन द्वारा उन्हें देहव्यापार की ओर ढकेल दिया जाता है. अफसोस की बात तो यह है कि ढकोसलों से भरी यह परंपरा अब यहां के लोगों के लिए एक पारंपरिक व्यवसाय सी बन गयी है. यहां के लोग देहव्यापार को बुरा नहीं मानते.
उनके हिसाब से यह उनकी परंपरा है, जिसका वो पालन कर रहे हैं. सरकार ने वाडिया के लोगों की सूरत बदलने के लिए कई प्रयास किए. सरकार ने यहां के लोगों को सरकारी ज़मीन भी दी. ताकि, यहां के लोग खेती किसानी कर सके. लेकिन देह व्यापार से आसानी से अच्छे पैसे मिल जाने के कारण लोगों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई, और जिस्मफरोशी का धंधा यहां पूरी तरह से बंद नहीं हो सका है.
ज़रा सोचिए, जब अपने ही आपके देह की दलाली करने लगे तो कैसा होगा? ज़्यादातर मर्द अपने परिवार की औरतों के लिए खुलेआम वाडिया में ग्राहकों को फंसाते हुए देखे जा सकता हैं. जोकि निराश करने वाला है. निश्चित रूप से इस गांव की युवतियां एक दर्द से गुजर रही होंगी, जिसको हम सिर्फ़ महसूस कर सकते है.
भारत में ऐसे गांव और भी हैं क्या?
जी हां! न केवल बाडिया, बल्कि देश में आपको ऐसे कई और गांव मिल जायेंगे, जहां की महिलाएं देह व्यापार के लिए मजबूर हैं. शहरों में तो ‘देह व्यापार’ के कई स्थलों के बारे में हम जानते ही हैं, लेकिन अपने देश के गांव भी इस मामले में कुछ कम नहीं है.
1. राजस्थान के भरतपुर के बाहर जयपुर हाइवे के किनारे मलाहा नाम से एक बस्ती है. जहां बेडिय़ा नाम की एक जाति का एक समूह रहता है. इस समूह में एक बड़ी संख्या में युवतियां भी हैं. जो किशोरावस्था से ही समाज की सहमति से वेश्यावृत्ति के धंधे में उतारने को मजबूर हैं. 2005 में जब यहां फ्लाइओवर का निर्माण हुआ तो बेडिय़ाओं की यह बस्ती दो भागों में बट गई, लेकिन इनके पुश्तैनी धंधे पर कोई असर नहीं पड़ा.
2. यूपी के हरदोई रोड पर स्थित नटपुरवा गांव का भी कुछ ऐसा ही हाल है, जहां पिछले 400 साल से देहव्यापार का काम चल रहा है. लगभग 5 हजार लोग इस गांव का हिस्सा हैं. कहते हैं कि देह व्यापार इस गांव का धन्धा है, जो लगातार चलता चला आ रहा है. जिसकी अब यहां के लोगों को आदत हो गई है. गजब की बात तो यह कि यहां के पुरूष जीवन यापन के लिए महिलाओं पर आश्रित है. जिसके लिए वह खुद ग्राहक ढ़ूढने का काम करते हैं.
3- एमपी के मंदसौर और नीमच मे दशकों से देह व्यापार जारी है. यहां अजीबों-गरीब प्रचलन है, जिसके अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी पड़ती है. इसके उदाहरण मंदसौर हाई-वे पर खुलेआम आपको देखने को मिल जाएंगे. दिलचस्प बात यह है कि उनके इस धंधे में उनका पूरा परिवार मदद करता है.
4- मंदसौर और नीमच की ही तरह मध्य प्रदेश के बछरा में गांव में आदिवासियों का एक समूह बसा हुआ है. जिसके हिसाब से उनके परिवार की बड़ी लड़की को जिस्मदफरोशी का काम करना पड़ता है. जिसके लिए वह खुद ग्राहक तलाशते हैं और पैसों का लेन-देन करते हैं
5- कर्नाटक के देवदासिस इलाके का हाल किसी से छुपा हुआ नहीं है. सभी को पता है कि यहां कम उम्र लड़कियों की नीलामी की जाती हैं. जिसके बाद लड़कियों को खरीदने वाले के साथ ही अपना पूरा जीवन एक वेश्याा के रूप में बिताना पड़ता है.
देह व्यापार पर क्या कहता है कानून?
भारत में देह व्यापार को लेकर कानून की बात करें, तो वह उतना सुदृढ़ औऱ प्रभावशाली नहीं है. जितना होना चाहिए. हालांकि भारतवर्ष में वैवाहिक संबंध के बाहर यौनसंबंध को अच्छा नहीं माना जाता.
देह व्यापार भी इसी का एक हिस्सा है. लेकिन दो वयस्कों के यौनसंबंध को, यदि वह जनशिष्टाचार के विपरीत न हो, कानून व्यक्तिगत मानता है, जो दंडनीय नहीं है. “भारतीय दंडविधान” 1860 से “वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक” 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं. जिस कारण देह व्यापार पर जरूरी लगाम नहीं लग सका.
अंग्रेज भारत में आए तो उन्होंने भारत में कई कुप्रथाओं को हवा दी. वेश्यावृत्ति भी उसमें से एक है. अग्रेजों के आगमन के बाद वेश्यावृत्ति ने एक धंधे का स्वरूप धारण कर लिया. जिनके संचालन के लिए वेश्यालय बनने लगे. उसी का परिणाम है कि देश व्यापार देश-विदेश में देह व्यापार मसाज पार्लरों, एस्कार्ट सर्विस के रूप में तेजी से अपना पैर फैला रहा है. जो कि समाज के लिए कितना सही है. इसको आप समझ सकते हैं.