“ऐ दाई, जल्दी उठ ना.” आखरी सांसें गिन रहा इंसान जिस तरह ज़िंदगी से लड़ने की नाकाम कोशिश करता है उसी तरह रह रह कर छोटी...
शहर भर के सभी बाजार दुल्हन की तरह सजे हुए थे. लोगों की भीड़ ने बाजार में खड़े होने जितनी जगह नहीं छोड़ी थी. रंगबिरंगे लिबास...
आप किसी बड़े शहर के स्टेशन पर चले जाइए तो आप सही सही ये पहचान नहीं सकते कि कौन यहां का है और कौन बाहर से...
जेल जाना केवल एक सज़ा नहीं बल्कि सामाजिक बहिष्कार है. जेल को सुधारगृह भी कहा जाता है लेकिन हकीकत तो ये है कि जेल की कैद...
दौर चाहे पुरुष प्रधान हो या फिर महिला सशक्तिकरण का, बिना स्त्री-पुरुष के साथ के हम समाज की कल्पना नहीं कर सकते. इसीलिए तो कहा जाता...
आज हम जिस नायक की कहानी आपको सुनाने जा रहे हैं उन्होंने अपने देश, अपनी भारत माता के लिए जो किया वो उस समय के युवाओं...
सुबह उठो, खाओ, फिर खाओ, रात में खाओ, देर रात मन कर जाए फिर खा लो और सो जाओ. फिर अगले दिन, उससे अगले दिन, हफ्ते,...
अपनी ज़िंदगी को बनाना या बिगाड़ना इंसान के अपने हाथ में होता है. एक अमीर इंसान भी अपनी लापरवाहियों की वजह से सड़क पर आ सकता...
सिलाई मशीन लगभग हम सभी ने देखी है. एक समय ओ ऐसा था जब हर दूसरे घर में ये मशीन देखने को मिल जाया करती थी....
किस्मत पर भरोसा कर के चलने वाले अपनी किस्मत से ज्यादा नहीं प्राप्त नहीं कर पाते लेकिन मेहनतकश आदमी अपने दम पर खुद अपनी किस्मत बनाता...